Friday, February 18, 2022

"माया "


इस माया की दुनिया ने , किस माया में डाला है 
माया की ही क्या  मोह माया है ,
क्या होना है क्या करना है माया ने बताया है , 
माया के इस जाल से माया को ही निकाला  है, 
माया ने इस माया को किस मोड़ पर लाया है, 

माया की इस दुनिया में , माया की ही माया है ,
सोचा क्या था माया ने माया की ही माया है, 
भैंरो की समाधि में माया की माया है , हरि की तो निन्द्रा ही माया है,
माया के इस संसार में, कर्म माया की है , 
माया की इस लीला ने, हमें माया में लाया है , 

माया की इस दुनिया में, माया की ही छाया है ,
भास्कर की इस तेज़ में माया की ही माया है,
पयोधि की इस लहर में माया ही समाया है , 
मही की गोद में माया ही माया  है. 
जीवन के इस काल में काल की ही माया है, 
माया की इस माया ने हमें माया में डाला है 

Thursday, April 30, 2020

बदलती मौसम

रिम झिम रिम झिम बूंदो से छनकार की आवाज़ आयी
बाहर देखा मौसम ने सौगात लायी
मौसम के बहार से, मौसम के अंदाज़ से 
मई महीने की तपती धुप याद आयी
मौसम कि रिम झिम ने कुछ और याद दिलाई
ये तो बिन मौसम बरसात आयी,

समय की बात है, बदलते मौसम की आस है, 
धुप की तपिस से सुधरनी  हालात
पर मौसम ने दिखाई अपनी हालात  
छेड़ा है जब हमने मौसम को, वो वक़्त हमारा था 
आज वक़्त है मौसम का, वो लेगी प्रतिकार 
न जाने किस मोर पर ले जाएगी ये हालत,

छिपे बैठे हैं  घर में, वक़्त अभी आया नहीं  
बाहर निकलने पर वक़्त ने मारा नहीं 
कौन बचेगा कौन मरेगा ये अभी जाना नहीं 
इस बदलती मौसम ने हलात अभी बताया नहीं,
 
बहार आया तो समझो मौसम ने बुलाया है 
मौसम क्या ऊपर वाले ने खड़े कराया है 
कर्म थे हमारे जो  मौसम ने लौटाया है 
इस बलदती मौसम ने बहुत कुछ सिखाया है | 

Monday, April 27, 2020

​अभी और जीना है...



वक़्त बदलता जा रहा , कुछ कहता जा रहा 
लेहरो की तरह समुन्द्र में खो जाने का जी चाह रहा 
खुद के सपनो में खुद को भूल जाने का जी चाह  रहा 
कुछ पुरानी यादों में खुद को खो जाने का जी चाह रहा 
जिंदगी के समंदर में डूब जाने का जी चाह रहा 
लेकिन अभी और जीना है , अभी और जीना है 

ज़िन्दगी की इस मोड़ पर और क़र्ज़ चुकाने की बारी हैं 
कुछ चाहने की बारी है , कुछ करने की बारी है 
कुछ तो ज़िन्दगी ने दिया है कुछ ज़िन्दगी को दिया हैं 
कुछ सोचने की बारी हैं कुछ करने की बारी हैं 
कुछ देने का मौका है कुछ लेने का मौका है 
लेकिन अभी और जीना बाकी है, भी अभी और जीना है  

प्यास अभी बुझी नहीं , दर्द ख़त्म हुई नहीं 
मन अभी डूबा नहीं, मन अभी भरा नहीं 
कर्म अभी किया नहीं , दर्द अभी हुआ नहीं 
कुछ अभी मिला नहीं , कुछ अभी किया नहीं 
ज़िन्दगी ने हाथ छोड़ा नहीं, ज़िन्दगी ने अभी तोड़ा नहीं 
अभी ज़िन्दगी बाकी है , अभी और जीना है 

हर बूँद की तरह, हर आस की तरह 
हर ख्वाइश की तरह , हर ख़ुशी की तरह 
ख़ुशी की तलाश में , ख़ुशी की चाह में 
दूसरो की मुस्कान में , दूसरो की आस में 
ज़िनदगी जीने की राह में, ज़िन्दगी की तलाश में 
अभी और जीना है , अभी और जीना है 

वक़्त की लहर से, ज़िन्दगी की दौर में 
अपने प्यार से , दूसरो की मुस्कान से 
अपनों की आस से , अपनों के प्यार से 
जीने की चाह से , ज़िन्दगी की रह में 
ज़िन्दगी की मोर में, अपनों के मोह में  
जीने की आस है, जीने की चाह है 
अभी और जीना  है, अभी और जीना है

Saturday, September 13, 2014

***कशमोकश***

एक कशमोकश में डूबी है ज़िन्दगी
न जाने कौन से रंग में डूबी है ये ज़िन्दगी
सुना था  खुशकिस्मत वालो को मिलती है ये ज़िन्दगी
पर ये बदकिस्मती को क्यूँ कोसती है ये ज़िन्दगी

हर पल को क्यूँ कोसती है ये ज़िन्दगी
हर पल से ही तो बनी है ये ज़िन्दगी
यूँ तो लोग कहते है खूबसूरत है ये ज़िन्दगी
पर खुद लोग ही कोसते है , ज़िन्दगी को

कुदरत ने बनायीं है ये ज़िन्दगी
पर क्यूँ दुःख देती है ज़िन्दगी
कुछ मिटना चाहते है इस ज़िन्दगी में
तो कुछ मिटाना चाहते है इस ज़िन्दगी को

क्या ये खेल है ज़िन्दगी का
या खेल है खुशकिस्मती का
या खेल है बदकिस्मती का

यूँ तो कहते है ...

तकदीर हमें नहीं बनाती हम तकदीर बनाते है
किस्मत हमें नहीं हम खुद किस्मत बनाते है
तभी तो ज़िन्दगी हमें नहीं हम ज़िन्दगी बनाते है...

Friday, April 18, 2014

-.-.-.-.-चाह -.-.-.-.-.-.













चाह कर चाहत से पूछा,
क्या तू ही है मेरी आरज़ू?
क्या तू  है मेरी हकीकत?
क्या तू है मेरी बंदिशें?
क्या तू ही है मेरी इनायत?
क्या तू ही है मेरी ख्वाईशे?
क्या तू है मेरी ज़िन्दगी ?

चाह कर चाहत से पूछा -
क्यों ये अनगिनत ख्वाईशे है ??
चाह कर चाहत से पूछा -
क्यों ये अनगिनत आरज़ू है ??
चाह कर चाहत से पूछा -
क्यों ये  मेरी इनायत  है ???
चाह कर चाहत से पूछा -
क्यों ये मेरी चाहत है !!!
चाह कर चाहत से पूछा---
क्यों है ये ज़िन्दगी  ???
  

Wednesday, July 31, 2013

अनजान रास्ता

अनजान रास्ते पर चलते रहीन वक़्त की ख़बर न ज़िन्दगी की ख़बर
पहले भी तनहा थी आज भी तनहा हूँ
एक चाह थी दिल की एक ख्वाइश थी दिल कीसाथ हो किसी की
क्या पता था कि न वक़्त था  हमारा  और न तो वो थे हमारे
क्या सच हैक्या  झूट है,  कौन सही हैकौन गलत न वक़्त बताता न दिल बताता
इस राह पर चलते चलतेन जाने यह कैसा मोड़ आया


अजनबी रास्तेअजनबी चाहतअजनबी पहचान बन गयी 
न जाने कब किस वास्ते किस रास्ते  वो हमारी जान बन गये,
एक अनजान दिन ,दो अनजान जज्बात मिल गए,
न जाने कब ये अनकही सी बात बन गयी,














पर  क्या  पता  था  की  न  वो  थे  हमारे  और  न  वक़्त  था  हमारा
क्या  कहूँ  क्या  बोलूं  ज़ज्बातों  को  लब्ज़ों  से   कैसे  बयाँ  करूँ 
आसमां  छूना  है  रास्ता  ढूँढ  रही  हूँ 


Thursday, May 2, 2013

धूप और छाँव

 
 
धूप की इस तपिस में, छाँव की तलाश में थे हम
यह पता न था, कोई मंजिल मिल पायेगी या नहीं
गर्मियों का मौसम है और मई महीने का दूसरा दिन
सूरज की तीखी तेज़ में झुलस रहे थे हम
 
तलाश थी ऐसी जगह की जहाँ बैठ कर कुछ खा सके हम
तलाश तो पूरी हुई लेकिन प्यास न हुई कम
निकले थे लंच पर लग रहा था हूँ काम पर
प्रकृति की गोद में, पेड़ की छाँव में, चार दोस्त थे हम
 
गप्पे मारना, मजाक करना, फोटो खीचना मस्ती में थे हम
जब्कि पिकनिक पर नहीं, असाइनमेंट पर थे हम
बिताना था पूरा एक घंटा, धूप में थे हम
धूप की इस तपिस में गुम थे हम
 
प्रकृति की छाँव में प्यास न हुई थी कम
पूरा एक घंटा न बीता पाए हम
धूप की इस तपिस में जल रहे थे हम
 एक नयी सोच के साथ वापस हुए हम.

"माया "

इस माया की दुनिया ने , किस माया में डाला है  माया की ही क्या  मोह माया है , क्या होना है क्या करना है माया ने बताया है ,  माया के इस जाल से ...