Monday, October 15, 2012

"पल--पल के अफ़साने"


पल में जीते, पल में मरते,
पल जो कल था, पल जो यह है आज,
पल यह जो आने वाला है, हर लम्हा इस पल के लिए जीते ,
वो पल जो खुशियाँ की  होते ,
वो पल जो दर्द के होते ,
वो पल जो बिखरे अफ्सानो की तरह होती ,
हम हर पल जीते , हर पल मरते -
पल भर में बदल जाती है जिन्दगी , 
एक पल जो जिन्दगी  जीना सिखा देती , दुसरे पल मौत के सामने ले आती ,।
पल यह पल उस पल को कैसे सम्भालूँ जिस पल ने रिश्ते  बिखेरे,
उस पल में कैसे जीयूं जिस पल ने रिश्ते दिए ।
हर पल बदलता है हमारी जिन्दगी, 
हम इस पल को नहीं बदल सकते,
 हर पल बदल रहे हैं रूप जिन्दगी  के,
पल भर में छाओं तो दुसरे पल धुप ।
इस अनचाहे ,  अनसमझे...." पल " को अपना कैसे बनाऊं
पल तो पलक झपकते आता और बीत जाता ,
पल - पल के इस खेल में पल से  न जाने कितने लोग हारे  !
जलती - बुझती इस पल में ,
इस पल भर की जिंदगी में ,
हर पल जीने को चाहता ,
पल, यह-पल, उस-पल , वो -पल , हर -पल जीने को चाहता !
हर पल को बदलने को दिल चाहता । 

"माया "

इस माया की दुनिया ने , किस माया में डाला है  माया की ही क्या  मोह माया है , क्या होना है क्या करना है माया ने बताया है ,  माया के इस जाल से ...