Thursday, April 25, 2013

वक़्त का चक्र

वक़्त के इस चक्र पर ख्वाबो का बसेरा है,
रौशनी की इस तेज मे अंधेरो का साया है,
अँधेरे के इस साये में धुंधलाता सा एक ख्वाब है,
शबनम की इस बूदों में सिर्फ उसकी ही याद है.



वक़्त के इस चक्र पर अजनबी सा एहसास है,
अजनबी एहसास में न जाने कैसा प्यास है,
प्यासी इस दुनिया में मिटता सा ख्वाब है,
वक़्त के इस चक्र पर बस रिश्तो की आस है,



रिश्तो के इस जाल में बिकता सिर्फ एहसास है,
बिकते इस एहसास में जलता सिर्फ इन्सान है,
जलते इस इन्सान में मिटता सिर्फ वो ख्वाब है,
वक़्त से इस चक्र पर मिटता सिर्फ इन्सान है.
 

"माया "

इस माया की दुनिया ने , किस माया में डाला है  माया की ही क्या  मोह माया है , क्या होना है क्या करना है माया ने बताया है ,  माया के इस जाल से ...