Monday, May 7, 2012

क्या कहूँ..

 सच्चाई:
क्या सच कहूँ क्या झूट कहूँ,
दिल की बात कहूँ या सपनो की बात कहूँ,
सपनो की बात कहूँ तो जिंदगी पूछ  पड़ती है,
क्या यह वफ़ा है जो आखों से छलकते है,
इन् अश्को को कैसे  समेटूं,
कहीं ये सागर न बन जाये,
अगर सागर बन गए,
तो उन् लहरों को कैसे रुकूँ,
जो खुशयां चुराते जा रहे,
 क्या ये जिंदगी है -
तो मौत क्या है,
प्यार ईक ख्वाब था,
तो सच्चाई क्या थी,
जिंदगी यह है तो मौत क्या थी.

प्यार की गहरायी:

दिल को खोलूँ अगर तो, प्यार का सागर मिलेगा,
इनकी गहराईयों  में एक शक्श डूबा मिलेगा.
प्यार के इस सागर में खो जाने को दिल चाहता है,
इस सागर की गहराईयों  में डूब जाने का दिल चाहता है,
दो नहीं एक हो जाने को दिल चाहता है,

' लम्हा '





इतने लम्बे इंतजार के बाद पल भर के लिए खुशयां आई,
पलक झपकते पल बीता और फिर किस्मत ने मेरी हंसी उडाई,
किस्मत की बात करू तो किस्मत हँस पड़ती है ,
हंसने की बात करू तो आखें छलक पड़ती है,

बीतें लम्हों में जिंदगी बीतते है.
कितनी पुरानी जिंदगी में हर पल नया पाते है,
ख्यालो में जिंदगी को सिर्फ पाते है,
इस तलाश में ना जाने कितने पल गवातें है ,
यादों में संजो कर रखा है अपनी खुशयों को ,
आने वाले वक़्त में. खुशयां पाना ही भूल जाते है|

जिन्दगी की इस सच्चाई को जाने बिना
न जाने क्यों अनजाने में खुद को
खुद ही दर्द दिए जाते है.
बीते लमही में जिन्दगी बीताते है.
कितनी पुरानी जिन्दगी में हर पल नया पाते है |

"माया "

इस माया की दुनिया ने , किस माया में डाला है  माया की ही क्या  मोह माया है , क्या होना है क्या करना है माया ने बताया है ,  माया के इस जाल से ...