सच्चाई:
क्या सच कहूँ क्या झूट कहूँ,
दिल की बात कहूँ या सपनो की बात कहूँ,
सपनो की बात कहूँ तो जिंदगी पूछ पड़ती है,
क्या यह वफ़ा है जो आखों से छलकते है,
इन् अश्को को कैसे समेटूं,
कहीं ये सागर न बन जाये,
अगर सागर बन गए,
तो उन् लहरों को कैसे रुकूँ,
जो खुशयां चुराते जा रहे,
क्या ये जिंदगी है -
तो मौत क्या है,
प्यार ईक ख्वाब था,
तो सच्चाई क्या थी,
जिंदगी यह है तो मौत क्या थी.
प्यार की गहरायी:
दिल को खोलूँ अगर तो, प्यार का सागर मिलेगा,
इनकी गहराईयों में एक शक्श डूबा मिलेगा.
प्यार के इस सागर में खो जाने को दिल चाहता है,
इस सागर की गहराईयों में डूब जाने का दिल चाहता है,
दो नहीं एक हो जाने को दिल चाहता है,
सुंदर , सरल रचना । मनोभावों को यूं ही उकेरती चलो
ReplyDeleteवाह ...... :)
ReplyDeleteHindi4Tech
Asha-TheBlog
हम्म्म्म....
ReplyDeleteअश्क सागर बने तो लहरों को कैसे रोकूँ?????
बहुत सुंदर दीप्ति जी.
अनु