Saturday, September 13, 2014

***कशमोकश***

एक कशमोकश में डूबी है ज़िन्दगी
न जाने कौन से रंग में डूबी है ये ज़िन्दगी
सुना था  खुशकिस्मत वालो को मिलती है ये ज़िन्दगी
पर ये बदकिस्मती को क्यूँ कोसती है ये ज़िन्दगी

हर पल को क्यूँ कोसती है ये ज़िन्दगी
हर पल से ही तो बनी है ये ज़िन्दगी
यूँ तो लोग कहते है खूबसूरत है ये ज़िन्दगी
पर खुद लोग ही कोसते है , ज़िन्दगी को

कुदरत ने बनायीं है ये ज़िन्दगी
पर क्यूँ दुःख देती है ज़िन्दगी
कुछ मिटना चाहते है इस ज़िन्दगी में
तो कुछ मिटाना चाहते है इस ज़िन्दगी को

क्या ये खेल है ज़िन्दगी का
या खेल है खुशकिस्मती का
या खेल है बदकिस्मती का

यूँ तो कहते है ...

तकदीर हमें नहीं बनाती हम तकदीर बनाते है
किस्मत हमें नहीं हम खुद किस्मत बनाते है
तभी तो ज़िन्दगी हमें नहीं हम ज़िन्दगी बनाते है...

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